दुनिया का सबसे शक्तिशाली सौर तूफान 20 सालों बाद शुक्रवार 10 मई को धरती से टकराया। तूफान के कारण तस्मानिया से लेकर ब्रिटेन तक आसमान में तेज बिजली कड़की। वहीं कई सैटेलाइट्स और पावर ग्रिडस को भी नुकसान पहुंचा। सोलर तूफान के कारण दुनिया की कई जगहों पर ध्रुवीय ज्योति (ऑरोरा) की घटनाएं देखने को भी मिलीं। इस दौरान सौर तुफान की वजह से आसमान अलग-अलग रंगों को दिखाई दिया।
अमेरिकी वैज्ञानिक संस्था ‘नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन’ (NOAA) के मुताबिक इस सौर तूफान का असर सप्ताह के अंत तक रहेगा। इसे मुख्य तौर पर दुनिया के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में देखा जा सकेगा। लेकिन अगर यह तेज होता है तो इसे और भी कई जगहों पर देखा जा सकता है। दुनिया भर में सैटेलाइट ऑपरेटर्स, एयरलाइंस और पावर ग्रिड को ऑपरेटर अलर्ट पर हैं।
नासा ने खींची दहकते सूरज की तस्वीर
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने सूरज में हुए इस विस्फोट की तस्वीर खींची है। नासा ने बताया कि 10 मई 2024 को सूर्य ने एक तेज आग उत्सर्जित की है, जो स्थानीय समयानुसार सुबह के 2.54 मिनट पर अपने चरम पर थी। एनओएए के मौसम पूर्वानुमान केंद्र के अनुसार, सूर्य की आग में वृद्धि के चलते कोरोना से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों के कई उत्सर्जन (कोरोनल मास इजेक्शन) हुए हैं।
लद्दाख से फ्लोरिडा तक कई शहरों में ऑरोरा लाइट्स से रंग-बिरंगा हुआ आसमान
सौर तूफान आने का कारण सूर्य से निकलने वाला कोरोनल मास इजेक्शन है। दरअसल कोरोनल मास इजेक्शन के दौरान सूर्य से आने वाले पार्टिकल्स धरती की मैग्नेटिक फील्ड में एंट्री करते हैं। पार्टिकल्स के धरती पर एंट्री करने के बाद एक रिएक्शन होता है , जिसके कारण पार्टिकल्स चमकदार रंग- बिरंगी रोशनी के रूप में दिखते हैं। आसान शब्दों में कहे तो कोरोनल मास इजेक्शन यानि सूर्य की सतह से प्लाज्मा और मैग्नेटिक फील्ड ( चुंबकीय) का निकलना।
सौर तूफान धरती पर मैग्नेटिक फील्ड को प्रभावित करते हैं। ऐसे तूफानों के कारण पावर ग्रिड को भी नुकसान पहुंचता है। साथ ही विमानों में भी टर्बुलेंस की दिकक्त होती है। इसके चलते नासा ने भी अपने एस्ट्रोनॉट्स को तूफान के दौरान स्पेस स्टेशन के अंदर रहने की सलाह देती है।
2003 में आखिरी बार आया था Solar Strom
यह सौर तूफान अक्टूबर 2003 के बाद आए “हैलोवीन तूफान” के बाद दूसरा बड़ा तूफान है। हैलोवीन तूफान के कारण स्वीडन में ब्लैकआउट हुआ था। तूफान के कारण दक्षिण अफ्रीका में ग्रिड ठप पड़ गए थे।अब वैज्ञानिकों ने इस सौर तूफान को लेकर भी कहा है कि आने वाले दिनों में और भी CME पार्टिकल्स की धरती में एंट्री हो सकती है।
अगर बात दुनिया के सबसे शक्तिशाली सौर तूफान की करें तो यह 1859 में धरती से टकराया था। इसका नाम कैरिंगटन इवेंट था। इस तूफान के कारण टेलीग्राफ लाइनें पूरी खराब हो गई थी। कई टेलीग्राफ लाइन्स में आग भी लग गई थी।
सैटेलाइट और पावरग्रिड हो सकते हैं फेल
सूरज से निकलने वाली तेज आग एक मजबूत भू-चुंबकीय क्षेत्र तैयार करती है, जो पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल के हिस्से को बाधित करती है। इससे कम्युनिकेशन और जीपीएस पर तत्काल असर पड़ सकता है। इसके साथ ही सूर्य से छोड़ी गई असीमित ऊर्जा अंतरिक्ष यान के इलेक्ट्रॉनिक्स को भी बाधित कर सकती है। इसके 20 मिनट से लेकर कई घंटे तक अंतरिक्ष यात्री प्रभावित हो सकते हैं।
नासा ने सौर तूफान को लेकर गहन विश्लेषण के बाद कहा है कि इससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सवार चालक दल के लिए कोई खतरा नहीं है और किसी अतिरिक्त एहतियाती उपाय की आवश्यकता नहीं है। नासा ने बताया कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र अंतरिक्ष से होने वाले विकिरण से ग्रह पर जीवन की सुरक्षा करता है। हालांकि, स्पेस स्टेशन पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करता है। फिर भी पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के करीब होन के चलते इसे कुछ सुरक्षा मिलती है। सौर ज्वाला को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट लगते हैं, जिसका मतलब है कि सबसे हालिया चमक पहले ही गुजर चुकी है। यह बढ़ी हुई रोशनी चालक दल के लिए खतरा पैदा नहीं करती है।
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